Tuesday, July 6, 2010

Poem 20- चेहेकती चिड़ियाँ


आज मैं सुबह को जब जाग गया
मुझे दिखा एक भारत नया
में रोज़ सवेरे चिड़ियों का गाना सुनता था
मैंने पुछा "कहाँ गए है सब चिड़ियाँ माँ?

क्या वो कभी नहीं आयेंगे?
क्या वो कभी गाना नहीं गायेंगे?
फूल नहीं हैं बगिया में
चुरा लिया है किसने उन्हें?

हम लोग है इस के कारन
जो पेड़ों का हुआ मरण
पेड़ों को मत काटना
बचाने में हाथ बढाना

2 comments:

  1. namaste gaurangji,
    menae lagaya dho paed merae ghar ke samne. ab usmae bohoth chidiyaan aathe hey aur dho baar honey bees nae bhi ghar basayaa. mae khush hoon.

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  2. thanks gaurang for the heart touching poem!

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